Computer के पाच कारण
कंप्यूटर के m3 Parts
इनपुट आउटपुट डिवाइस (Input-Output Device) ...
सिस्टम यूनिट (System Unit) ...
Computer मेमोरी (Memory) ...
Computer Memory – मेमोरी दो किस्मों की होती है, रौम (ROM) और रैम (RAM) ...
स्टोरेज यूनिट (Storage Unit) ...
संचार ...
मॉनिटर (Monitor) ...
की-बोर्ड (
जदा जानकारी
कि लीक करे
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आज के जमने मै कम्पुटर उपयोग ना होत हो
आज के जमाने में हर कोई दफ्तर में किया जाता है
यदि कोई चलना सिखा जाता है तो फोटोशॉप के काम साहयता कर है
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1. इनपुट आउटपुट डिवाइस (Input-Output Device)
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इन उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में इनपुट करने और कंप्यूटर द्वारा आउटपुट दिखाने के लिए किया जाता है। बहुत से उपकरणों को इनपुट आउटपुट डिवाइस कहा जाता है जैसे माउस, कीबोर्ड, स्कैनर, प्रिंटर, मॉनिटर आदि।
कंप्यूटर के इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज में कई तरह के बड़े ही महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय अंतर होते हैं। कंप्यूटर के इनपुट डिवाइसेज की बात करें, तो इनमें कीबोर्ड, माउस, माइक्रोफोन, डिजिटल कैमरा, जॉय स्टिक, स्कैनर, टचपैड, वेब कैमरा, और ग्राफिक टेबलेट आदि शामिल होते हैं। उसी तरह से कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइसेज की बात करें तो इनमें कंप्यूटर मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, हेडफोन, प्लॉटर, वीडियो कार्ड्स, सीडी, डीवीडी, और प्रोजेक्टर आदि शामिल होते हैं। कंप्यूटर के इनपुट डिवाइसेज का काम सिग्नल भेजना होता है। ये इनपुट डिवाइसेज सिग्नल भेजते हैं और इसे दिखाने का काम करते हैं। कंप्यूटर में जो डाटा प्राप्त करना होता है, इसमें इनपुट डिवाइसेज मदद करते हैं। डाटा को कंप्यूटर सिस्टम में इनपुट डिवाइसेज के जरिए ही दर्ज किया जाता है।
वहीं, कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस इस प्राप्त हुए डाटा को प्रोसेस करने में मदद करते हैं। यूजर्स के माध्यम से इनपुट डिवाइस डाटा को प्रोसेसर यूनिट में भेजने का काम करते हैं। वहीं, आउटपुट डिवाइसेज प्रोसेसर से डाटा लेते हैं और वे इसे यूजर्स तक पहुंच जाते हैं। इस तरीके से इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के काम अलग-अलग होते हैं, मगर इन दोनों ही डिवाइसेज की कंप्यूटर को अच्छी तरह से काम करने में समर्थ बनाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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2 1. इनपुट आउटपुट डिवाइस (Input-Output Device)
इन उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में इनपुट करने और कंप्यूटर द्वारा आउटपुट दिखाने के लिए किया जाता है। बहुत से उपकरणों को इनपुट आउटपुट डिवाइस कहा जाता है जैसे माउस, कीबोर्ड, स्कैनर, प्रिंटर, मॉनिटर आदि।
कंप्यूटर के इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज में कई तरह के बड़े ही महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय अंतर होते हैं। कंप्यूटर के इनपुट डिवाइसेज की बात करें, तो इनमें कीबोर्ड, माउस, माइक्रोफोन, डिजिटल कैमरा, जॉय स्टिक, स्कैनर, टचपैड, वेब कैमरा, और ग्राफिक टेबलेट आदि शामिल होते हैं। उसी तरह से कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइसेज की बात करें तो इनमें कंप्यूटर मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, हेडफोन, प्लॉटर, वीडियो कार्ड्स, सीडी, डीवीडी, और प्रोजेक्टर आदि शामिल होते हैं। कंप्यूटर के इनपुट डिवाइसेज का काम सिग्नल भेजना होता है। ये इनपुट डिवाइसेज सिग्नल भेजते हैं और इसे दिखाने का काम करते हैं। कंप्यूटर में जो डाटा प्राप्त करना होता है, इसमें इनपुट डिवाइसेज मदद करते हैं। डाटा को कंप्यूटर सिस्टम में इनपुट डिवाइसेज के जरिए ही दर्ज किया जाता है।
वहीं, कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस इस प्राप्त हुए डाटा को प्रोसेस करने में मदद करते हैं। यूजर्स के माध्यम से इनपुट डिवाइस डाटा को प्रोसेसर यूनिट में भेजने का काम करते हैं। वहीं, आउटपुट डिवाइसेज प्रोसेसर से डाटा लेते हैं और वे इसे यूजर्स तक पहुंच जाते हैं। इस तरीके से इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के काम अलग-अलग होते हैं, मगर इन दोनों ही डिवाइसेज की कंप्यूटर को अच्छी तरह से काम करने में समर्थ बनाने में बेहद महत्वपूर्.
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3. Computer मेमोरी (Memory)
कंप्यूटर में मेमोरी का प्रयोग प्रोग्राम और डाटा को संग्रहित करने में होता है ताकि बाद में आवश्यकतानुसार उसका उपयोग किया जा सके। मेमोरी किसी भी कंप्यूटर का एक काफी महत्वपूर्ण अंग होता है। मेमोरी का उपयोग परिणामों को संग्रहीत करने के लिए भी किया जाता है।
Computer Memory – मेमोरी दो किस्मों की होती है, रौम (ROM) और रैम (RAM)
रौम (ROM)- रौम का मतलब होता है रीड ओनली मेमोरी। इस मेमोरी में जो जानकारी होती है उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है, इसमें जो जानकारी होती है उसे बस पढ़ा जा सकता है।
रैम (RAM)- रैम का मतलब होता है रैंडम एक्सेस मेमोरी। इसका प्रयोग तब होता है जब आप कंप्यूटर पर काम करते हैं। ये जानकारी बस तभी तक रहती है जब तक आपका कंप्यूटर काम कर रहा होता है। कंप्यूटर को बंद करते ही रैम में संग्रहित सारी जानकारी नष्ट हो जाती है।
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4. स्टोरेज यूनिट (Storage
4. स्टोरेज यूनिट (Storage Unit)
स्टोरेज यूनिट में कंप्यूटर सभी डाटा सहेज के रखता है। इसमें संग्रहित डाटा को कंप्यूटर उपयोग करने वाला बाद में इस्तेमाल कर सकता है। इस श्रेणी में कई चीज़ें आती हैं जैसे डीवीडी, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क इत्यादि।
कंप्यूटर में स्टोरेज यूनिट वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। चाहे किसी भी तरह का डाटा या किसी भी तरह की जानकारी हो, यह इन सभी को अच्छी तरह से स्टोर करके रखता है। इस यूनिट को स्टोरेज मीडिया या डिजिटल स्टोरेज के नाम से भी जाना जाता है। स्टोरेज यूनिट का यह काम होता है कि यह डिजिटल रूप से डाटा को संग्रहित करके रखता है। जब हमें इसकी जरूरत होती है, तो हम इसे इससे प्राप्त भी कर सकते हैं। स्टोरेज यूनिट को भी दो भागों में बांट दिया जाता है। इनमें से पहला प्राइमरी स्टोरेज यूनिट होते हैं। वहीं दूसरे सेकेंडरी स्टोरेज यूनिट होते हैं।
जब हमें डाटा को अस्थाई रूप से स्टोर करके रखना होता है, तो इसके लिए प्राइमरी स्टोरेज यूनिट को इस्तेमाल में लाया जाता है। ये आकार में बहुत ही छोटे होते हैं। RAM और Cache मेमोरी इनमें शामिल होती हैं। कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी भी इसे कहा जाता है। सेकेंडरी स्टोरेज यूनिट वे होते हैं, जहां पर कि ज्यादा से ज्यादा डाटा को स्टोर करके रखना संभव होता है। स्थाई तरीके से ये किसी भी तरह के डाटा को स्टोर करके रख सकते हैं। हार्ड डिस्क और यूएसबी फ्लैश डिवाइस आदि इनमें शामि
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संचार
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संचार के लिए बहुत से यंत्रों का उपयोग होता है। इन यंत्रों का प्रयोग एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर से जोड़ने के लिए और इन्टरनेट का इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है। वाई फाई रिसीवर, मॉडेम आदि इस श्रेणी में आते हैं।
ये तो आपने जाना कंप्यूटर के पांच मुख्य भागों के बारे में। आइए अब हम आपको बताते हैं कि किसी भी कंप्यूटर पर काम करने के लिए मुख्य रुप से किन चीजों की जरुरत होती है।
मॉनिटर
की- बोर्ड
माउस
सीपीयू
मॉनिटर (Monitor)
मॉनिटर कंप्यूटर का एक आउटपुट डिवाइस है। जो एक तार के जरिए सीपीयू से जुड़ा होता है। कंप्यूटर में हमारा सारा काम सीपीयू में होता है, लेकिन उसे देखने के लिए मॉनिटर की जरुरत होती है। मॉनिटर एक विज्युअल डिस्प्ले यूनिट होता है। यह टेलीविजन की तरह दिखता है। इसका मुख्य काम सीपीयू में चल रही प्रक्रियाओं को दिखाना है। मॉनिटर मुख्य रुप से तीन प्रकार के होते हैं।
CRT Monitor
LCD (Liquid Crystal Display)
LED ( Light Emitting Diode)
वहीं रंगों के आधार पर मॉनिटर को अगर वर्गीकृत किया जाए तो ये हैं उनके प्रकार
1.मोनोक्रोम
2.ग्रे-स्केल
3.रंगीन मॉनीटर
सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाला आउटपुट डिवाइस सीआरटी मॉनिटर ही है। सीआरटी को विजुअल डिस्प्ले यूनिट के नाम से भी जाना जाता है। इसका सबसे प्रमुख हिस्सा कैथोड रे ट्यूब होता है, जो कि सामान्य तौर पर पिक्चर ट्यूब के नाम से जाना जाता है।
एलसीडी मॉनिटर का मतलब होता है लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले। इसी तरह के मॉनिटर आजकल काफी चलन में हैं और ये बड़े ही आकर्षक होते हैं। लैपटॉप में इस्तेमाल किए जाने के बाद अब डेस्कटॉप कंप्यूटर स्क्रीन के लिए भी इन्हें प्रयोग में लाया जाने लगा है।
एलईडी का मतलब होता है लाइट एमिटिंग डायोड। इस तरह के मॉनिटर की मांग आजकल काफी बढ़ गई है। इसे पर्यावरण के अनुकूल भी माना जाता है।
मोनोक्रोम मॉनिटर को सिंगल कलर डिस्प्ले भी कहा जाता है। यह मॉनिटर आउटपुट को ब्लैक एंड व्हाइट के रूप में दिखाता है।
ग्रे स्केल मॉनिटर मोनोक्रोम की तरह ही होते हैं, मगर इसमें कोई भी डिस्प्ले ग्रे शेड्स में नजर आता है। लैपटॉप में इस तरह के मॉनिटर का ज्यादा इस्तेमाल हुआ है।
रंगीन मॉनिटर में उच्च रिजोल्यूशन में ग्राफिक्स को प्रदर्शित करने की क्षमता होती है। साथ ही यह 16 से 16 लाख तक के रंगों में भी आउटपुट को प्रदर्शित कर सकता है।
की-बोर्ड (Keyboard)
की-बोर्ड एक इनपुट डिवाइस है। ये डाटा को इनपुट करने का काम करता है। इसका उपयोग कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से हम लिखने का काम करते हैं, ना सिर्फ लिखने बल्कि कंप्यूटर को नियंत्रित करने के लिए भी कीबोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। कंप्यूटर कीबोर्ड की बनावट एक टाइपराइटर की तरह ही होती है। कीबोर्ड को उसके काम के आधार पर छह भागों में बांटा गया है।
फंक्शन की (Function Keys)
टाइपिंग की (Typing Keys)
कंट्रोल की (Control Keys)
नेविगेशन की (Navigation Keys)
इंडिकेटर लाइट्स (Indicator Lights)
न्यूमेरिक की (Numeric Keyboard)
माउस (Mouse)
अपने नाम के अनुसार ही कंप्यूटर का माउस दिखने में चूहे के समान ही होता है। यह कंप्यूटर का इनपुट डिवाइस है। इसका इस्तेमाल मुख्य रुप से मॉनिटर पर आइटम को चुनने, उसे खोलने और बंद करने में किया जाता है। माउस के जरिए भी हम कंप्यूटर को निर्देश देते हैं। माउस का इस्तेमाल उसे मूव करके किया जाता है। माउस में मुख्य रुप से तीन बटन होते हैं। लेफ्ट की(Left Key), राइट की(Right Key) और स्क्रॉल की (Scroll key)। लेफ्ट की का इस्तेमाल ऑब्जेक्ट को चुनने, राइटर की उपयोग विकल्प के लिए और स्क्रॉल की का प्रयोग पेज को स्क्रॉल करने के लिए किया जाता है।
सीपीयू (CPU)
सीपीयू का पूरा नाम सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है। ये कंप्यूटर का मुख्य भाग होता है। क्योंकि ये कंप्यूटर से जुड़े सभी उपकरणों को नियंत्रित करता है। इसे प्रोसेसर, माइक्रोप्रोसेसर, सेंट्रल प्रोसेसर कई नामों से जाना जाता है। इसे कंप्यूर का ब्रेन भी कहते हैं। ये कंप्यूटर के मदरबोर्ड में लगा होता है और ये यहीं से इनपुट को प्रोसेस कर के आउटपुट देता है। ये बहुत ही तेजी से काम करता है। ये लगभग 1 सेकंड में ट्रिलियन कैलकुलेशन कर सकता है । ये हैं सीपीयू के मुख्य भाग।
अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (ALU)
कंट्रोल यूनिट (CU)
मेमोरी यूनिट (MU)
करियर के हिसाब से भी देखा जाए तो कंप्यूटर हार्डवेयर की समझ होना बहुत ही महत्वपूर्ण है‚ क्योंकि यह एक ऐसी चीज है‚ जिसकी मांग वक्त के साथ बढ़ती ही जा रही है। उदाहरण के लिए सीपीयू ही कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। ऐसे में सीपीयू की समझ यदि अच्छी तरह से हो जाए तो फिर कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर बन कर अच्छे पैसे कमाये जा सकते हैं। जरूरत बस इस बात की है कि Career Counselling के जरिये इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल कर ली जाए और इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए जाएं।
कंप्यूटर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
दुनिया के सबसे पहले निर्मित कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में केवल 5 एमबी डाटा स्टोर किया जा सकता था।
दुनिया के पहल कंप्यूटर का नाम एनीयक (ENIAC) था। इसका पूरा नाम Electronic Numerical Integrator And Computer है। ये 15 फरवरी 1946 में दुनिया के सामने आया।
एनीयक 167 वर्गमीटर की जगह लेता था और इसका वजन 27 टन (27 हजार किलो) था।
पहला कंप्यूटर माउस लकड़ी का बनाया गया था।
कंप्यूटर का पितामह चार्ल्स बेबेज को कहा जाता है।
भारत में निर्मित पहले कंप्यूटर का नाम ‘सिद्धार्थ’ है।
स्टोरेज माध्यम की क्षमता इकाई बाइट (Byte) है।
1 किलो बाइट 1024 बाइट के बराबर होती है।
पहले सभी कंप्यूटर DOS पर आधारित थे।
टाइप करने वाले किसी भी व्यक्ति की उंगलियां रोजाना करीब 20 किलोमीटर तक चलती हैं।
आज के कंप्यूटर की तुलना में पहले के कंप्यूटर का आकार बहुत ही बड़ा हुआ करता था। तब के कंप्यूटर एक कमरे जितने बड़े हुआ करते थे।
कंप्यूटर में सबसे पहले 45KB की RAM चिप लगी होती थी।
Ads Lovelace नामक महिला ने दुनिया में सबसे पहली बार कंप्यूटर प्रोग्राम लिखा था।
आज से लगभग 70 साल पहले यानी कि वर्ष 1950 के लगभग कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक ब्रेन्स कहे जाते थे।
निष्कर्ष
आज के जमाने में कंप्यूटर के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसी लिए हमारा ये लेख आप को ये बताता है की आखिर कंप्यूटर हैं क्या और क्या हैं इसके मुख्या भाग। कंप्यूटर आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है और हमारा ये लेख उसी को दर्शाता है। हमारा ये लेख आपको कैसा लगा ये हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके ज़रूर बताएं। अगर आपके पास भी इससे जुडी जानकारी है तो कमेंट बॉक्स में शेयर कर उसे दुसरो तक पहुचाएं। अगर आपका कोई प्रश्न है तो उसको आप नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर हमतक पंहुचा सकते हैं।
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